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पंजाब में पराली जलाने के मामलों ने तोड़ा विगत दो साल का रिकॉर्ड

पंजाब में पराली जलाने के मामलों ने तोड़ा विगत दो साल का रिकॉर्ड

पंजाब भर में पराली जलाने की घटनाओं में बढ़ोतरी होने के साथ, राज्य के ज्यादातर गांवों में धुंध की हालत बनी हुई है। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि पंजाब में इस साल घटनाओं की कुल संख्या 1,027 के आंकड़े को छू गई है। भारत के करीब समस्त राज्यों में धान की कटाई आरंभ हो चुकी है। साथ ही, हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं देखने को मिल रही हैं। हालांकि, इस वर्ष पराली जलाने के मामलों में काफी वृद्धि देखने को मिली है। नतीजतन, राज्य के ज्यादातर गांवों में धुंध की स्थिति बनी हुई है। ट्रिब्यून इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इस सीजन में खेतों में आग लगने के मामले विगत दो वर्षों की अपेक्षा में काफी ज्यादा हैं। बतादें, कि इससे सरकार द्वारा फसल अवशेषों को जलाने पर प्रतिबंध लगाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने पर सवाल खड़े हो रहे हैं। ज्ञात हो कि सोमवार को पंजाब में पराली जलाने के 58 मामले दाखिल किए गए हैं। इसके साथ ही इस वर्ष घटनाओं की कुल तादात 1,027 के चार अंकों के आंकड़े तक पहुँच चुकी है।

पराली जलाने के मामलों में बढ़ोतरी

गौरतलब है, कि पंजाब में आज तक खेतों में आग लगने की अत्यधिक घटनाएं सीमावर्ती क्षेत्रों से दर्ज की जा रही थीं। फिलहाल, मालवा क्षेत्र में किसानों ने धान की पराली जलाना आरंभ कर दिया है। इसका प्रभाव पंजाब एवं दिल्ली की वायु गुणवत्ता पर भी देखने को मिलेगा। पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर (पीआरएससी) के आंकड़ों के मुताबिक, 9 अक्टूबर को राज्य में 58 पराली जलाने की घटनाओं को एक सैटेलाइट द्वारा कैद किया गया था। वहीं, 2021 में उसी दिन 114 पराली जलाने की घटनाओं को दर्ज किया गया था। साथ ही, 2022 में ऐसे तीन मामले सामने आए थे।

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पराली जलाने की घटनाओं ने विगत दो वर्षों का तोड़ा रिकॉर्ड

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि इसमें चिंता का विषय यह है, कि इस वर्ष की कुल संख्या 1,027 विगत दो वर्षों के संबंधित आंकड़ों से काफी ज्यादा है। 2022 और 2021 के दौरान पंजाब में 9 अक्टूबर तक क्रमशः 714 और 614 घटनाएं दर्ज हुई थीं। दरअसल, आज तक के मामले विगत वर्ष की तुलना में 43.8% ज्यादा और 2021 के आंकड़े (9 अक्टूबर तक) से 67% अधिक हैं। कुल मिलाकर, 2022 में 49,900 खेतों में आग लगने की घटनाएं दर्ज की गईं। 2021 में 71,304; 2020 में 76,590; और 2019 में 52,991 घटनाऐं दर्ज हुई थीं।

पराली जलाने के मामलों में वृद्धि की संभावना - कृषि विभाग

कृषि विभाग के एक अधिकारी का कहना है, कि "संगरूर, पटियाला और लुधियाना में किसानों ने फसल की कटाई शुरू कर दी है और इन तीन जिलों में अगले सप्ताह तक खेत में आग लगने का आंकड़ा काफी बढ़ जाएगा।" जानकारों का कहना है, कि "कुछ खास नहीं किया जा सकता, क्योंकि किसान 2,500 रुपये प्रति एकड़ मुआवजे पर अड़े हुए हैं। परंतु, सरकार इस बात पर बिल्कुल सहमत नहीं हुई है।" साथ ही, अमृतसर प्रशासन ने पराली जलाने पर 279 लोगों पर 6.97 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
किसान भाई पराली को जलाने की जगह यह उपाय करें

किसान भाई पराली को जलाने की जगह यह उपाय करें

​किसान भाई पराली को आग लगाने की वजाय यहां दिए गए तरीकों को अपना सकते हैं। पराली जलाने से होने वाला प्रदूषण रुकने के साथ-साथ किसान भाइयों को लाभ भी मिलेगा। दिल्ली एनसीआर समेत कई शहरों में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है। प्रति वर्ष इन दिनों प्रदूषण का स्तर बढ़ने के पीछे की एक वजह पराली भी है। लेकिन, किसान भाई पराली जलाने के स्थान पर उसका क्या कर सकते हैं, आइए इसके बारे जानते हैं। हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब समेत विभिन्न राज्यों के किसान धान के उपरांत गेहूं की खेती करते हैं। इसके अतिरिक्त वह बाकी फसलों की खेती भी करते हैं, जिसके लिए खेत तैयार करने की काफी आवश्यकता होती है। इसके चलते किसान फसल काटने के पश्चात खेतों में बचे हुए धान के डंठल अथवा पराली को जलाते हैं। कृषक भाई पराली को जलाकर फसल के अवशेषों को स्वच्छ करने और खेतों को पुनः बुवाई के लिए तैयार करते हैं।


 

मल्चर मशीन क्या होती है

सीटू प्रबंधन में बहुत सी मशीन हैं, जिनमें से मल्चर सबसे पहले है। धान की फसल के अवशेष को नियंत्रित करने के अलावा मल्चर भी एक प्रभावी कृषि उपकरण है। यह मशीन अपने ब्लेड से फसल के अवशेष को ट्रैक्टर की सहायता से छोटे-छोटे टुकड़ों में काटती है। धान की फसल के अवशेषों का प्रबंधन भी इससे काफी सहजता से होता है। इसका उपयोग करने के पश्चात आग नहीं लगानी चाहिए। धान के पुआल को मृदा में मिलाकर मिट्टी को संभालना एवं उर्वरकता को बढ़ाना एक प्रभावी और कामगर उपाय है। जैसे - पुआल को बहुत सारे जुताई उपकरणों का उपयोग करके मिट्टी में जोतने से इसका टूटना तीव्र होता है। साथ ही, मिट्टी की संरचना भी काफी शानदार होती है।

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पराली प्रबंधन के लिए सरकार अनुदान प्रदान करती है

धान की पराली के निपटारे की बजाय अन्य दूसरे विकल्पों का विचार भी किया जा सकता है। इसे पशुओं के चारे के तौर पर उपयोग कर सकते हैं। विशेष रूप से जब यह काटा अथवा संसाधित किया जाता है। बहुत सी सरकारें पुआल प्रबंधन को प्रोत्साहन देने के लिए काफी नियम बना रही हैं। पर्यावरण-अनुकूल तरीकों को अपनाने अथवा मशीन खरीदने के लिए अनुदान प्रदान कर रही हैं।